सुरेंद्र सिंह जी कोर्ट क्यों गए?

सुरेंद्र सिंह जी कोर्ट क्यों गए?
30 और 31 2015 मई को आदरणीय प्रेम बाबू ने महासभा का त्रैमासिक बैठक आदरणीय राम चंद्र बाबू के विश्रामपुर स्थित कॉलेज में आहूत किया।
बैठक में सभी लोग प्रेम बाबू का महासभा का चुनाव कराने का दबाव बनाने लगे।विदित हो कि कई बरसों से प्रेम बाबू ने महासभा का विधिवत चुनाव नहीं कराए थे।
किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया, प्रेम जी अपने समर्थकों के साथ वहां से चल दिए, किंतु उनके समिति के कुछ लोग रह गए। वहां वैसे लोगों की काफी भीड़ थी जो महासभा के विधिवत सदस्य नहीं थे।
उन सबों ने मिलकर 31 मई को एक आम सभा कर आदरणीय रामबली बाबू को कार्यवाहक अध्यक्ष और आदरणीय रामनाथ चंद्रवंशी जी को कार्यवाहक महामंत्री बनाया गया। हालांकि रामबली बाबू अध्यक्ष बनने के पक्ष में नहीं थे,
उसी आमसभा में पटना के कृष्ण मेमोरियल हॉल में एक सम्मेलन करने का निर्णय लिया गया। सम्मेलन हुआ भी
राजनीतिक कारणों से आदरणीय रामबली बाबू आदरणीय राम चंद्र बाबू में मनमुटाव हो गया। रामबली बाबू नहीं चाहते थे इसमें कोई राजनीतिक नेता दूसरे समाज के आए जबकि राम चंद्र बाबू आदरणीय मनोज तिवारी जी को लाना चाहते थे।
रामचंद्र बाबू ने कार्यवाहक अध्यक्ष रामबली बाबू के बिना सहमति के झारखंड विधानसभा के सभागार में एक बैठक आयोजित करवाएं और उसमें महासभा का चुनाव हेतु एक तिथि की घोषणा कर दी।
रामबली बाबू ने इस स्थिति से निपटने के लिए बादशाह बाबू के कॉलेज गया में अपने कार्यकारिणी का एक बैठक बुलाए।
बैठक में उन्होंने कहा कि आपस में लड़ने से कुछ नहीं होगा मैं आदरणीय प्रेम बाबू से बात किया हूं। हम लोग मिलकर एक साथ चुनाव करें।
काफी विचार विमर्श के बाद 5 सदस्यीय एक समिति बनी। जिसमें रामबली बाबू , डॉक्टर ईश्वर सागर जी, रामनाथ चंद्रवंशी जी जो उस समय कार्यवाहक महामंत्री थे, आदरणीय डी पी सिंह जी और मैं।
हम लोग उसी दिन प्रेम बाबू के गया आवास पर मिले। वे सहमत हो गए और बोले कि मैं भी अपनी तरफ से 5 सदस्यीय टीम बना देता हूं। अगले सप्ताह यानी 12 जून को उनके आवास पर बैठक निश्चित हुआ।
बैठक में हम सब लोग भाग लिए
जिसमें सहमति बनी कि अभी बिहार विधानसभा चुनाव है
इस बीच एक के सदस्यता समिति बना लिया जाए।
नए सिरे से सदस्यता किया जाए
इसका बैंक के अकाउंट अलग हो
और हर हाल में 31 मार्च 2016 तक चुनाव हम लोग करा लेंगे।
रामबली सिंह के तरफ से मुझे सदस्यता प्रभारी बनाया गया
और आदरणीय प्रेम बाबू के महामंत्री श्री पवन देव चंद्रवंशी को सहायक सदस्यता प्रभारी।
रात करीब 12:00 बज रहा था
भोजन के बाद समझौता पर हस्ताक्षर करने की बात आई
डॉक्टर सागर जी को पटना से कोई फोन आया और वह बिना कहे वहां से चले गए।
लेकिन बाकी सभी लोगों ने समझौता पर हस्ताक्षर किए और इस काम को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया।
आगे काम बड़ा सदस्यता अभियान शुरू हो गया बैंक के अकाउंट खुल गया और करीब-करीब देश के सभी गणमान्य लोग इसके आजीवन सदस्य बने।
इस बीच राम चंद्र बाबू ने 27 जून को एक चुनावी सभा आयोजित कर कर डॉक्टर ईश्वर सागर जी को ताजपोशी कर दिए। और घोषणा की है कि यही असली महासभा है?
इसके कुछ दिनों के बाद आदरणीय प्रेम बाबू बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता चुने गए
कुछ दिनों के बाद वह भी अलग हो गए। और बोले कि मेरा कमेटी जायज है मैं जैसे अपने कमेटी को चलाता हूं चलाते रहूंगा। आप सबों के साथ जो समझौता हुआ था उसे मैं वापस लेता हूं।
विदित हो कि वह भी इसके सदस्य बने उनके काफी लोग सदस्य बने हैं।
इस बीच काफी सदस्य बन गए थे उसका पैसा बैंक में चेक द्वारा जमा हुआ था जो आज भी जमा है।
रामबली बाबू इस घटना से काफी दुखी हुए और वह अपने आप को अलग कर लिये।
इसी बीच ईश्वर सागर जी की ओर से मुझे एक कानूनी नोटिस दिया गया कि आप जो पैसा इकट्ठा किया है मुझे दे दीजिए। जबकि इस पैसे में उनका या उनके किसी सहयोगीयों का कोई योगदान नहीं था।
इसके बाद अब लाचारी हो गई कि क्या किया जाए।
कोई सुनने को तैयार नहीं था।
क्योंकि दोनों कैबिनेट स्तर के मंत्री थे। और बाकी कुछ लोग इन्हें दोनों के पीछे जय-जय कर रहे थे। आम लोग खामोश थे। तब कोर्ट की एक रास्ता नजर आया।
बाध्य होकर होकर मैं कोर्ट का सहारा लिया
और कोर्ट को सारी घटना बताया
और उनसे आग्रह किया कि हमारे यहां संवैधानिक संकट पैदा हो गया है एक ही संगठन के दो दो तीन तीन अध्यक्ष और समिति और संविधान हो गई है इसलिए न्यायालय हस्तक्षेप कर संविधान के वर्णित प्रावधानों के अंतर्गत एक रिसीवर या एडमिनिस्ट्रेटर बहाल कर चुनाव करा दिया जाए।
कोर्ट मैं मामला को विलंब करने के लिए दोनों पक्षों की ओर से हर संभव प्रयास किया गया
अंत में कोर्ट ने एक आदेश दिया की ,
अगर इस बीच कोई भी पक्ष चुनाव करता है तो उसके परिणाम की घोषणा वह नहीं कर सकेगा।
विदित हो कि किसी भी पक्ष की ओर से निर्धारित समय के अंदर रिटेन स्टेटमेंट जमा नहीं किया गया।
हम लोगों ने मामला को एक्स पार्टी करने की मांग की।
कोर्ट ने इस पर हियरिंग का समय निश्चित किया।
किंतु तब तक उस न्यायालय के जज सेवानिवृत्त हो गए और इसी बीच कोराना भी आ गया।
यही कहानी है मामला को कोर्ट में ले जाने का।
एक बात और स्पष्ट कर दो कि आदरणीय रामबली बाबू कभी भी गुट के पक्ष में नहीं थे। वह महासभा में एकता चाहते थे।

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