डॉ ईश्वर सागर जी का मानसिक संतुलन गड़बड़ाना गंभीर चिंता का विषय?

डॉक्टर ईश्वर सागर जी आदरणीय रामचंद्र बाबू पूर्व मंत्री एवं विधायक के सुपुत्र और रामचंद्र चंद्रवंशी यूनिवर्सिटी के यूनिवर्सिटी चांसलर भी हैं !
ईश्वर सागर जी अपने को अखिल भारतवर्षीय चंद्रवंशी क्षत्रिय महासभा का तथाकथित राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बताते हैं ! विदित हो कि महासभा 2015 से ही कई भागों में विभाजित है और मामला न्यायालय में विचाराधीन है!
जबसे महासभा में एकीकरण और संवैधानिक चुनाव की बात प्रारंभ हुई है, तब से उनका मानसिक संतुलन इस विषय पर बिगड़ चुका है!
इस संदर्भ मे सामाजिक मंच पर अनाप-शनाप ,मौखिक और लिखित टिप्पणी करना, अन पार्लियामेंट लैंग्वेज यूज करना एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है!
ईश्वर सागर जी महासभा को अपना निजी संपत्ति मान बैठे हैं जबकि महासभा एक सामाजिक संगठन है! और इस को चलने -चलाने के लिए एक नियमावलीहै!
लेकिन पावर और पैसा के बल पर वर्षों से इसका दुरुपयोग करते आ रहे हैं! जब भी देश में कहीं भी किसी स्तर का चुनाव होता है तो महासभा को बेचने के लिए अपना दुकान लगा देते हैं !
जब से समाज और न्यायालय का दबाव इन पर पड़ा है ,तब से इस विषय पर इनका मानसिक संतुलन गड़बड़ा गया !
दिनांक 12 अप्रैल 2021 को महासभा के मामले में सिटी कोर्ट कोलकाता ने इन पर ₹5000 का जुर्माना लगाया है तब से और बौखला गए है और महासभा में एकीकरण से जुड़े लोगों को रोड छाप करार दे रहे है!
यह किसी भी कीमत पर महासभा का आजीवन अध्यक्ष बना रहना चाहते हैं जबकि महासभा में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है! विदित हो कि आज के दिनों में इनके टीम के 75% लोग इनको छोड़कर एकीकरण से जुड़ चुके हैं! फिर भी अपने आप को महासभा का बेताज बादशाह बना रहना चाहते हैं जो अब संभव नहीं दिख रहा है?
एकीकरण टीम
अखिल भारतवर्षीय चंद्रवंशी क्षत्रिय महासभा 91 नंबर नेताजी सुभास रोड कोलकाता

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मगध सम्राट जरासंध जी के संदर्भ में भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में गलत टिप्पणी करना निंदनीय है! संपूर्ण भारतवर्ष के चंद्रवंशी समाज इसका घोर निंदा करते हैं और भारत के प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और कानून मंत्री से यह मांग करते हैं कि देश के करोड़ों चंद्रवंशीओ के भावना को कद्र करते हुए सम्राट जरासंध के संदर्भ में किए गए गलत टिप्पणी को अटॉर्नी जनरल वापस ले नहीं तो इनके विरोध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए !इन्हें बर्खास्त किया जाए !सम्राट जरासंध जाली नोट और भ्रष्टाचार के प्रतीक नहीं थे ! सम्राट जरासंध मजबूत इरादे वाले अपने वचन के पक्के महान शिव भक्त थे ! जो भी मानव के रूप में जन्म लिया है उससे एक दिन मरना होगा! पर सम्राट जरासंध इतने सौभाग्यशाली थे कि भगवान श्री कृष्ण के युक्ति से उनको मुक्ति मिली!