जब महासभा को लूटना ही उद्देश्य ,तो फिर एकीकरण और इसके विकास का बात कहां है?

यह एक विचारणीय विषय है कि
115 वर्षों मैं अखिल भारतवर्षीय चंद्रवंशी क्षत्रिय महासभा ने देश के चंद्रवंशीयों को क्या दिया और देश के चन्द्रवंशीयों ने महासभा को क्या दिया?
आज अखिल भारतवर्षीय चंद्रवंशी क्षत्रिय महासभा अपने ही कुछ लोगों के कारण संवैधानिक संकट एवं विभाजन के दौर से गुजर रहा है !आज इसके अस्तित्व पर खतरा नजर आ रहा है! रजिस्टार के यहां यह संगठन विवादित सूची में चला गया है !इसके बावजूद देश के जो पढ़े-लिखे सक्षम चंद्रवंशी एक ही साथ पिछले 5 सालों से राष्ट्रीय अध्यक्ष होनेे का दावा कर रहे हैं!

115 वर्ष पूर्व हम चंद्रवंशीओके पूर्वज बड़े दीन हीन अवस्था में जी रहे थे और इस से निजात पाने के लिए बड़ी आशा और उम्मीद के साथ इस संगठन का गठन किया !और यथासंभव चंद्रवंशीयों के विकास के लिए काम भी किया परंतु आज जब चंद्रवंशीयों के इतिहास में स्वर्णिम युग आया झारखंड और बिहार में दो-दो कैबिनेट मिनिस्टर बने और दोनों ने महासभा पर अलग अलग ढंग से कब्जा जमाया तो ऐसा लग रहा था कि दोनों महासभा के लिए बहुत कुछ करेंगे!
किंतु दुर्भाग्य रहा है कि
ये लोग महासभा के लिए एक झोपड़ी तक नहीं बना सके! इतना ही नहीं जब जब देश में राज्य या देश केेेे स्तर पर आम चुनाव की बात आती है तो ये लोग महासभा को बेचने के लिए दुकान लगा देते है और हम ही लोगों में से कुछ कुछ लोग इन दोनों, को जय जयकार करने में लग जाते हैं!

जब कीआम चन्द्रवंशी खामोश है?

महासभा मैं एकीकरण और इसके अस्तित्व बचाने के लिए जब कुछ लोग आगे आए हैं तो, दोनों के लिए जय जयकार करने वाले लोग इन्हें ही नाना प्रकार से अपमानित करने का असफल प्रयास कर रहे है!
इसके बावजूद, आम चंद्रवंशी खामोश है ?
आखिर आम चंद्रवंशी कब तक खामोश रहेंगे?

बताया जाता है कि मगध सम्राट जरासंध जी महाराज दो भागों में पैदा लिया जिसे मां जरा देवी ने जोड़ा !
किंतु आज हमारे ही समाज के सक्षम लोग अपने स्वार्थ के लिए अखिल भारतवर्षीय चंद्रवंशी क्षत्रिय महासभा को दो भागों में चीर कर रख दिया है!

आखिर आज के जरा देवी के सपूत

इसे एक भाग में करने से क्यों कतरा रहे हैं?
जागो चंद्रवंशी जागो ,
अपने माथा से,
विभाजन के कलंक मिटाओ?

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मगध सम्राट जरासंध जी के संदर्भ में भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में गलत टिप्पणी करना निंदनीय है! संपूर्ण भारतवर्ष के चंद्रवंशी समाज इसका घोर निंदा करते हैं और भारत के प्रधानमंत्री राष्ट्रपति और कानून मंत्री से यह मांग करते हैं कि देश के करोड़ों चंद्रवंशीओ के भावना को कद्र करते हुए सम्राट जरासंध के संदर्भ में किए गए गलत टिप्पणी को अटॉर्नी जनरल वापस ले नहीं तो इनके विरोध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए !इन्हें बर्खास्त किया जाए !सम्राट जरासंध जाली नोट और भ्रष्टाचार के प्रतीक नहीं थे ! सम्राट जरासंध मजबूत इरादे वाले अपने वचन के पक्के महान शिव भक्त थे ! जो भी मानव के रूप में जन्म लिया है उससे एक दिन मरना होगा! पर सम्राट जरासंध इतने सौभाग्यशाली थे कि भगवान श्री कृष्ण के युक्ति से उनको मुक्ति मिली!