,अखिल भारतवर्षीय चंद्रवंशी क्षत्रिय महासभा में संविधान के अनुसार जो लोग अपने को अध्यक्ष और महामंत्री होने का दावा कर रहे हैं वैसे लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि महासभा के संविधान के अनुसार उनका कार्यकाल उनके निर्वाचन के अवधि से 1 साल के बाद ही समाप्त हो गया है,और आज के दिनों में आजीवन सदस्यों को छोड़कर महासभा में ना कोई समिति रह गई है और ना ही कोई पदाधिकारी? क्योंकि जब वो खुद प्राधिकारी नहीं रह गए हैं तो , उनके द्वारा बनाए गए समितिया या पदाधिकारी की मान्यता आज के दिनों में कैसे हो सकता है ? सिटी कोर्ट कोलकाता ने 3 मई 2017 को कोर्ट ने यह आदेश निर्गत किया है कि,कोई भी दावेदार अगर चुनाव कराता है तो,वह न तो चुनाव परिणाम की घोषणा कर सकेगा और ना ही वह चुनाव किसी भी स्थिति में लागू माना जाएगा ,?जब तक इस संबंधित न्यायालय द्वारा मानयता नहीं दी जाती है?2017 के बाद किसी भी पक्ष ने चुनाव नहीं करा सका है? अगर कराया है और कोर्ट ने उसको मान्यता दी है तो वह पेपर सार्वजनिक करें अन्यथा महासभा का नाम ,लेटर पैड और उस पर अपने को पदाधिकारी होने का किसी भी स्तर पर दावा करना बंद करें !क्योंकि वह बिल्कुल संवैधानिक रूप से गलत है ! ऐसे लोग महासभा, संगठन, सरकार, पुलिस, प्रशासन, और समाज के साथ 420 बीसी कर रहे हैं! ऐसे लोग समाज में आपस में टकराव बनाना चाहते हैं !लॉ ऑर्डर की समस्या खड़ा करना चाहते हैं! इनके इस गैर संवैधानिक कार्यक्रम से आपस में झगड़ा झंझट हो सकता है मारपीट हो सकती है!कोई भी आप्रिय घटना घट सकता है !इसलिए प्रशासन को इस पर सख्त से सख्त कार्रवाई करना चाहिए! महासभा का मूल संविधान एवं कोलकाता सिटी कोर्ट बेंच नंबर 8 के द्वारा पारित आदेश का पीडीएफ अवलोकन हेतु संलग्न किया जाता है!इसलिए आदरणीय डॉक्टर प्रेम कुमार आदरणीय ईशवर सागर जी तथा अन्य लोग जो इस तरह का कृत्य कर रहे हैं ,उन्हें इस पर तत्काल रोक लगा देना चाहिए और एकीकरण तथा संवैधानिक चुनाव समिति के साथ मिलकर लोकतांत्रिक तरीके से महासभा के लिए सभी स्तरों पर कमेटी का गठन किया जाना चाहिए !सुरेंद्र सिंह पेटीशनर, case number 313/ 16 सिटी कोर्ट कोलकाता बेंच नंबर 8 !